विश्व के सबसे बड़ा निर्यातक चीन, भारत से अपने आयात में बड़ी मात्रा में वृद्धि करने पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे में कुछ सुधार होने की उम्मीदें जागी हैं। चीन ऐसा विश्व अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए कर रहा है।
भारत से चीन को होने वाले निर्यात में तेजी देखी गई है। 2017-18 के शुरुआती 10 महीनों में चीन को 10 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था, जो मार्च में समाप्त वित्त वर्ष 2018- 19 के इन्हीं 10 महीने में बढ़कर 14 अरब डॉलर पर पहुंच गया।हाल के महीनों में चीन से होने वाले आयात में कुछ सुस्ती दिखाई दी है, जबकि भारत से चीन को होने वाले निर्यात की गति बढ़ी है। पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 के पहले 10 महीने में एक साल पहले की इसी अवधि के मुकाबले भारतीय उत्पादों का निर्यात 40 प्रतिशत बढ़कर 14 अरब डॉलर पर पहुंच गया।उद्योग संगठन द्वारा जारी एक बयान में कहा कि इससे पहले 2017-18 के शुरुआती 10 महीनों (अप्रैल से जनवरी) के दौरान चीन को 10 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था, जो मार्च में समाप्त वित्त वर्ष 2018- 19 के इन्हीं 10 महीने में बढ़कर 14 अरब डॉलर पर पहुंच गया। उद्योग मंडल के महासचिव डॉक्टर महेश वाई. रेड्डी ने भारतीय निर्यातकों की सराहना करते हुए कहा कि पिछले कुछ महीने चीन को निर्यात बढ़ाने में उल्लेखनीय रहे हैं जबकि इस दौरान चीन से आयात कम हुआ है।
चीन से भारत मुख्यत: इलेक्ट्रिक उपकरण, मेकेनिकल सामान, कार्बनिक रसायनों आदि का आयात करता है। वहीं भारत से चीन को मुख्य रूप से कार्बनिक रसायन, खनिज ईंधन और कपास आदि का निर्यात किया जाता है। पिछले एक दशक के दौरान चीन ने भारतीय बाजार में तेजी से अपनी पैठ बढ़ाई, लेकिन अप्रैल- जनवरी 2018-19 में इसमें गिरावट देखी गई है। हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच उद्योगों के बीच आंतरिक तौर पर व्यापार का विस्तार हुआ है।
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